ईस्टर्न लद्दाख में LAC पर जल्द ही होगी अप्रैल 2020 वाली स्थिति, जानिए भारत-चीन के बीच कैसे बनी सहमति

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध खत्म करने को लेकर सहमति बन गई है। देपसांग और डेमचॉक पर डिसइंगेजमेंट होगा यानी दोनों देशों की सेनाएं अपनी पुरानी पोजिशन में जाएंगी और साथ ही यहां पेट्रोलिंग शुरू होगी। साथ ही डिसइंग

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नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध खत्म करने को लेकर सहमति बन गई है। देपसांग और डेमचॉक पर डिसइंगेजमेंट होगा यानी दोनों देशों की सेनाएं अपनी पुरानी पोजिशन में जाएंगी और साथ ही यहां पेट्रोलिंग शुरू होगी। साथ ही डिसइंगेजमेंट के बाद जो बफर जोन बने हैं वहां भी पेट्रोलिंग शुरू होगी।

ब्रिक्स समिट में मोदी-शी की मुलाकात

सूत्रों के मुताबिक ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति के बीच मुलाकात के बाद इसकी डिटेल का ऐलान किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने हुई WMCC की मीटिंग के बाद से मिलिट्री और डिप्लोमेटिक स्तर की बातचीत शुरू हुई। इन बातचीत का स्ट्रक्चर वैसा नहीं है जैसा पहले दोनों देशों की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग का था। ये बातचीत मिलिट्री और डिप्लोमेटिक स्तर पर साथ साथ चल रही हैं और अब भी बातचीत जारी है।

गतिरोध पर दोनों के बीच बनी सहमति

सूत्रों का कहना है कि गतिरोध खत्म करने पर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है लेकिन अब भी इसे जमीन पर कैसे लागू करना है इसे लेकर बातचीत चल रही है। सूत्रों के मुताबिक ब्रिक्स समिट के दौरान ऐलान के बाद भी मिलिट्री स्तर की बातचीत जारी रह सकती है। इसमें डिसइंगेजमेंट की और फिर पेट्रोलिंग शुरू होने की मॉडेलिटी तय होंगी।

क्या मसला है देपसांग और डेमचॉक में?

डेपसांग में जिन जगहों पर भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग के लिए जाते थे उनमें से कई जगहों पर चीनी सैनिक आ कर बैठ गए, जिस वजह से वहां भारतीय सेना की पेट्रोलिंग रूक गई। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी उन जगहों पर अपनी तैनाती कर दी जिससे कुछ पॉइंट्स पर चीन के सैनिकों की पेट्रोलिंग भी ब्लॉक हुई है। डेमचॉक में मसला ये है कि यहां चीन ने उन जगहों पर नए टेंट लगाए जहां पहले उसके टेंट नहीं थे। चीन कहता है कि ये उसके चरवाहों के टेंट हैं लेकिन भारत का कहना है कि ये चीनी सैनिक हैं जो सिविल ड्रेस में वहां हैं। अप्रैल 2020 से पहले जिन एरिया में टेंट नहीं थे, ये उन एरिया में लगे हैं। उसके जवाब में भारतीय सेना ने भी वहां अपने टेंट लगाए और अब लगभग दोनों आमने सामने हैं।

बफर जोन कहां हैं?

दो साल पहले पैंगोग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान के पीपी-14 से डिसइंगेजमेंट हुआ। फिर गोगरा में पीपी-17 से सैनिक हटे और फिर हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से। पीपी यानी पेट्रोलिंग पॉइंट। यहां अभी बफर जोन बने हैं। उनमें न तो भारत के सैनिक पेट्रोलिंग कर रहे हैं ना चीन के। सूत्रों के मुताबिक इन पेट्रोलिंग पॉइट पर भी फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर सहमति बनी है। हालांकि मॉडेलिटीज तय करने को लेकर बातचीत होनी है।
अनुभव पहले इसको फाइल कर लीजिएगा।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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